हिंदी कहावतें

दूध का जला छाँछ भी फूंक कर पीता है– एक बार धोखा खाने पर उसका दोबारा ध्यान रखना। धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का– जिस इंसान का कहि पर भी सम्मान न हो। नौ नकद, न तेरह उधार– वस्तु बेचने पर किसी से कुछ भी उधार नहीं करना। न रहे बांस न बजे बांसुरी– पूरी तरह से किसी को खत्म करना। नदी नाव संयोग– कम समय के लिए साथ देना। नक्कारखाने में तूती की आवाज– बड़ों के सामने ऊँची आवाज में बात करना। नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च– कम मूल्य की वस्तु पर ज्यादा खर्च करना। नया नौ दिन, पुराना सौ दिन– नए से ज्यादा फायदा पुराने से होना। नाई नाई बाल कितने, जजमान आगे आएंगे– किसी कार्य में जल्दी सफलता मिलना। नेकी कर दरिया में डाल– भलाई करने के बाद भूल जाना। पढ़े फ़ारसी बेंचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल– अपनी योग्यता के अनुसार काम न मिलना। पूत कपूत तो क्या धन संचै, पूत सपूत तो क्या धन संचै– पुत्र के योग्य होने और ना होने पर धन संचय की जरूरत नहीं। पीर, बावर्ची, भिश्ती, खर– सभी तरह के कार्य करने वाला। फरेगा तो झरेगा– सफलता के बाद अवनति होना। फिसल पड़े तो हरगंगा– मुसीबत में किसी कार्य को करना। बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद– मुर्