राजस्थानी लोकोक्तियां, मुहावरे 1

कहावतें एवं मुहावरे का उपयोग हम सभी कभी ना कभी जरूर करते है। कहावतें आपकी भाषा को सशक्त बनाने में मदद करती है, लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग करके हम अपनी बात को आसानी से समझा सकते हैं। इनका कोई बुरा नहीं मान सकता। यह कहावतें कम शब्दों में बहुत कुछ कहने का अर्थ बताती है। हमने बचपन से कई कहावते सुनी है, जैसे आ बैल मुझे मार, आम खाने हैं या पेड़ गिनने ऐसी कई और भी कहावतें है, हम आपको अनेकों पोस्ट में अधिक से प्रसिद्ध मारवाड़ी और हिंदी कहावतें एवं उनके अर्थ आपको बताने वाले है। चलो पड़ना सुरू करें। आळस नींद किसान न खोव , चोर न खोव खांसी , टक्को ब्याज मूळ न खोव , रांड न खोव हांसी। अर्थ - किसान को निद्रा व आलस्य नष्ट कर है , खांसी चोर का काम बिगाड़बिगाड़ देती है , ब्याज के लालच से मूल धन भी डूब जाता है और हंसी मसखरी विधवा को बिगाड़ देती है। जाट र जाट, तेरै सिर पर खाट, मियां र मियां , तेरै सिर पर कोल्हू, 'क तुक जँची कोनी, 'क तुक भलांई ना जंचो , बोझ तो मरसी। अर्थ - एक मियाँ ने जाट से मजाक में कहा की जाट, तेरे सिर पर खाट। स्वभावतः जाट ने मियाँ से कहा की,मियाँ! तेरे सिर पर कोल्हू।मि