दोनूं हाथांऊँ ताळी बाजै :- दोनों हाथों से ताली बजती है। अर्थात् लड़ाई/समझौता दोनों पक्षों द्वारा प्रयास करने पर ही होता है।
दान री बाछी रा दांत कोनी गिणीजै :- दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते। मुफ्त की वस्तु गुण-दोष नहीं देखे जाते।
दूखै ज़कै रै पीड़ हुवै :- जिसके पीड़ा होगी उसी के दर्द होगा।
दूध को दूध, पांणी को पांणी :- दूध का दूध, पानी का पानी। सही-सही न्याय करना।
दूर रा ढोल सुहावणा लागै :- दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। कोई चीज दूसरे के पास ही अच्छी लगती है।
खावै सूर कुटीजै पाडा :- अपराध कोई करता है, दण्ड और किसी को मिलता है।
बींटा बांधणा :- रवाना होने की तैयारी करना, पलायन करना।
बीड़ौ उठाणौ, बीड़ौ चाबणौ, बीड़ौ झेलणौ, बीड़ी लैणौ :- किसी कार्य का उत्तरदायित्व लेना, कार्य के प्रति कटिबद्ध होना।
बावै सो लूणे :- जो जैसा बोता है, वैसा काटता है।
भरोसै री भैंस पाडो ल्याई :- जिस कार्य में विशेष लाभ की आशा हो लेकिन वैसा लाभ न हो पाए।
भूखां मरतां नै राब सीरै जिसी लागै :- भूखे व्यक्ति को राबड़ी हलुवे जैसी लगती है।
भैंस रै आगे बीण बजाई, गोबर रो इनाम :- भैंस के आगे वीणा बजाई तो गोबर का इनाम मिलेगा। गुण ग्राहक ही गुणों की कद्र कर सकता है।
भूंड रो ठीकरौ कोई नीं लिया करै :- बदनामी किसी को स्वीकार्य नहीं होती है।
मियां मरग्या कै रोजा घटग्या :- अभी भी देर नहीं हुई है।
गुळ दियां मरै तौ जहर क्यूं दैणो :- आसानी से काम निकलता हो तो सख्ती नहीं करनी चाहिए।
घट्टी पीसणी :- कड़ा परिश्रम करना।
घर आयां नै छोड़ नै बांबी पूजण जाय :- घर वाले या नजदीकी योग्य व्यक्ति की कम पूछ होती है, बाहर वाले की अधिक।
घर फूट्या रावण मरै :- घर में फूट होने से शक्तिशाली व्यक्ति को भी परास्त होना पड़ता है।
घर में ऊंदरा इग्यारस करै :- घर में नितांत भूखमरी होना।
घाट-घाट रौ पांणी पीणौ :- बहुत अनुभव हासिल करना।
घिस-घिस नै गोळ होणौ :- किसी काम को करते रहने से उसमें निपुण होना।
खोट वापरणौ :- मन में छल-कपट उत्पन्न होना।
गधा नै कांई ठा गंगाजळ कांई व्है :- मूर्ख व्यक्ति अच्छी चीज की कीमत पहचान नहीं पाता है।
गुण गैल पूजा :- गुणों के अनुसार प्रतिष्ठा होती है।
गरदन माथै जुऔ धरणौ :- जिम्मेदारी लेना।
गळै टूंपौ आवणौ :- संकट में पड़ना।
गांठ राखणी :- मन में डाह रखना।
गाँव तो बळै अर डूम नै तिंवारी भावै :- विपत्ति में भी लाभ नहीं छोड़ना।
गाँव तो बसियौ ई नीं अर मंगता आयग्या :- कोई कार्य करने से पहले लाभ की सोचना।
गाल बजाणा :- बढ़-चढ़कर बातें मारना।
गुळ-खाणौ नै गुलगुलां सूं परहेज करणौ :- बड़ी बुराई करना और छोटी बुराई से बचना।
दमड़ी री डोकरी नै टकौ सिर मुंडाई रौ :- कम मूल्य की वस्तु पर अधिक व्यय।
दांत खाटा करणा :- परास्त करना।
दांतां लोही लागणौ :- चश्का लग जाना, आदी हो जाना।
नाक रै चूनौ लगाणौ :- किसी की इज्जत के बट्टा लगाना।
पाटी में आणौ :- किसी के सिखाने में आना।
पाप रो घड़ौ फूटणौ :- किसी के अत्याचारों या कुकर्मों का भंडाफोड़ होना।
पीळा चावळ दैणा (मेलणा) :- किसी शुभ अवसर पर सम्मिलित होने के लिए निमंत्रण देना।
फूटी आँख नीं सुहावणौ :- अत्यन्त अप्रिय लगना।
पहेली बुझाणौ :- घुमा-फिरा कर कहना।
पांचू आंगळी घी में होणी :- चारों ओर से लाभ होना। सुख से दिन कटना।
पांणी उतरणौ :- अपमानित होना या लज्जित होना।
पांणी ऊपरा कर फिरणौ :- काबू से बाहर हो जाना।
पांणी पिछांणणौ :- वास्तविकता समझना।
पांणी पी’र जात पूछणी :- स्वार्थ सिद्धि के बाद औचित्य पर ध्यान देना।
धूप में बाळ पकाणा :- बिना अनुभव प्राप्त किए आयु बिता देना।
धोरां किण रा अहसांन राखै :- योग्य तथा बड़े आदमी किसी का अहसान नहीं रखते हैं।
धौळै दिन दीवाळी करणी :- अनहोनी बात करनी।
धौळौ दिन करणौ :- महत्त्वपूर्ण कार्य करना।
न कोई की राई में, न कोई दुहाई में :- वह अपने काम से काम रखता है।
नांव जिसाई गुण :- जैसा नाम वैसे गुण।
ना सावण सुरंगो, ना भादवो हरयो :- ना सावन रंगीन न भादो हरा। सदा एक समान होना।
नेकी कर कूवै में न्हांक :- नेकी कर दरिया में डाल। अच्छा काम करके भूल जाना।
नकटा देव सूंमड़ा पूजारी :- जैसा को तैसा।
नगारा रौ ऊँट :- निर्लज्ज, ढीठ।
फूट्यो ढोल होणौ :- नितांत मूर्ख होना।
बिल्ली रै भाग रो छींको टूटग्यो :- बिल्ली के भाग्य से छींका टूट गया। अयोग्य व्यक्ति को भी अचानक लाभ होना।
बंबी में बड़तां तौ साप ईं सीधौ व्है :- समय आने पर धूर्त व कपटी को भी सरल व सीधा होना पड़ता है।
बांदरै आळी पंचायती :- दूसरों के झगड़े में अपना लाभ उठाना।
बादळ देख घड़ौ फोड़णौ :- झूठी बात पर काम करना।
हवन करतां हाथ बळणा :- 1. भला करने पर भी बुराई मिलना, 2. उपकार का बदला उपकार।
घूँट पीणौ :- बरदाश्त करना।
घोड़ा बेच’र सोवणौ :- बिल्कुल निश्चित होकर सोना।
टाँग ऊपर राखणी :- अपने विचारों को प्राथमिकता देना।
टांटिया रै छत्तै में हाथ घालणौ :- कष्टप्रद स्थिति पैदा कर लेना, कठिन कार्य हाथ में लेना।
टेक राखणी :- बात को निभा लेना, इज्जत रख लेना।
टेडी आँख सूं देखणौ :- शत्रुता की दृष्टि से देखना
टोपी उतारणी :- 1. बेइज्जत करना, 2. कंगाल करना।
ठंडौ छांटौ नांखणौ :- कोई आश्वासन देना।
ठार-ठार नै खाणौ :- हर कार्य में धैर्य रखना नितांत आवश्यक है।
ठोकरा खातौ फिरणौ :- इधर-उधर मारा-मारा फिरना।
डाकण नै किसौ माळवौ दूर है :- समर्थ और प्रबल के लिए कोई कार्य मुश्किल नहीं होता है।
डूबती नाव पार लगाणी :- दुख या विपत्ति से बचाना।
डूबतै नै था’ मिळणी :- संकट में सहारा मिलना।
डोकरी रै कहवण सूं खीर कुण रांधै :- साधारण व्यक्ति के सुझावों पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
चीकणा घड़ा माथै पांणी नीं ठहरणौ :- मूर्ख पर किसी प्रकार का असर न पड़ना।
चूलै में ऊंदरा दौड़णा :- खाने को बिल्कुल न मिलना।
चोटी रौ पसीनौ अेडी तांई आणौ :- कठिन परिश्रम करना।
चौकी फेरणौ :- घर की सब सम्पत्ति को बर्बाद कर देना।
छठी रौ दूध याद आणौ :- भारी संकट पड़ना।
छाती पर सवार होणौ :- तंग करने के लिए सदैव सामने रहना।
छाती बैठणी :- अधिक खर्च होने की आशंका से घबराहट हो जाना।
छाती माथै झेलणौ :- आपत्ति को अपने ऊपर लेना।
हवा होणौ :- अत्यंत तीव्र भागना, चंपत हो जाना।
तेल काढणौ, तेल पाड़णौ :- परेशान करना।
तेल तिला री धार देखणी :- सोच-समझ कर कार्य करना।
ताखड़ी आगै साच है / ताखड़ी धरम जांणै नै जात :- तराजू में तुलने पर सत्य सामने आ जाएगा अर्थात् जाँच करने पर सत्य का पता चल जाएगा।
तूं डाल-डाल म्हैं पात-पात :- विरोधी से ज्यादा सक्षम होना।
ताळी लाग्यां ताळो खुलै :- युक्ति से ही काम होता है।
तीज तिंवारा बावड़ी ले डूबी गणगौर :- श्रावक शुक्ला तृतीया से त्योहार प्रारंभ होते हैं और चैत्र शुक्ला तृतीया गणगौर के साथ समापन हो जाता है।
तिल देखो तिलां री धार देखो :- वक्त की नजाकत को देखकर कार्य करो। कुछ अनुभव हासिल करो।
थोथा चिणा बाजै घणा :- जिनमें गुण नहीं होते वे ही बढ़-चढ़कर बातें करते हैं।
थारा कांटा तनै ई भागैला :- तुम्हारे बोए हुए काँटे तुम्हें ही चुभेंगे। अर्थात् बुरा करने पर स्वयं का भी बुरा ही होता है।
नींद बैच ओजकौ मोल लैणौ :- बेमतलब समस्या मोल लेना।
नैणां में जेठ असाढ़ लागणौ :- आंसुओं की झड़ी लग जाना।
नौ – नौ ताळ कूदणौ :- थोड़ी-सी खुशी या लाभ का अत्यधिक प्रदर्शन करना।
पड़ पड़ कै ई सवार होय है :- गलती करते – करते ही मनुष्य होशियार हो जाता है।
थावर कीजे थरपना बुध कीजे बोपार :- शनिवार की स्थापना और बुधवार को व्यापार करना शुभ माना जाता है।
मन रा लाडुवां सूं भूख नीं भाग्या करै :- कल्पना के लड्डुवों से भूख शांत नहीं हो सकती।
दाई सूं पेट छिपाणौ :- जानकार से कोई बात गुप्त नहीं रखी जा सकती है।
बींटा बांधणा :- रवाना होने की तैयारी करना, पलायन करना।
बीड़ौ उठाणौ, बीड़ौ चाबणौ, बीड़ौ झेलणौ, बीड़ी लैणौ :- किसी कार्य का उत्तरदायित्व लेना, कार्य के प्रति कटिबद्ध होना।
बावै सो लूणे :- जो जैसा बोता है, वैसा काटता है।
भरोसै री भैंस पाडो ल्याई :- जिस कार्य में विशेष लाभ की आशा हो लेकिन वैसा लाभ न हो पाए।
भूखां मरतां नै राब सीरै जिसी लागै :- भूखे व्यक्ति को राबड़ी हलुवे जैसी लगती है।
भैंस रै आगे बीण बजाई, गोबर रो इनाम :- भैंस के आगे वीणा बजाई तो गोबर का इनाम मिलेगा। गुण ग्राहक ही गुणों की कद्र कर सकता है।
भूंड रो ठीकरौ कोई नीं लिया करै :- बदनामी किसी को स्वीकार्य नहीं होती है।
मियां मरग्या कै रोजा घटग्या :- अभी भी देर नहीं हुई है।
गुळ दियां मरै तौ जहर क्यूं दैणो :- आसानी से काम निकलता हो तो सख्ती नहीं करनी चाहिए।
घट्टी पीसणी :- कड़ा परिश्रम करना।
घर आयां नै छोड़ नै बांबी पूजण जाय :- घर वाले या नजदीकी योग्य व्यक्ति की कम पूछ होती है, बाहर वाले की अधिक।
घर फूट्या रावण मरै :- घर में फूट होने से शक्तिशाली व्यक्ति को भी परास्त होना पड़ता है।
घर में ऊंदरा इग्यारस करै :- घर में नितांत भूखमरी होना।
घाट-घाट रौ पांणी पीणौ :- बहुत अनुभव हासिल करना।
घिस-घिस नै गोळ होणौ :- किसी काम को करते रहने से उसमें निपुण होना।
दिन घरै आणा (होणा) :- अनुकूल समय आना।
दिन में तारा दिखाणा :- बहुत कष्ट देना।
दुनियां परायै सुख दूबळी :- दुनियां दूसरों के सुख को देखकर ईर्ष्या करती है।
छींकौ टूटणौ :- अनायास कोई लाभ होना।
छींटा नांकणा :- चुभती बात कहना।
छोटै मूंडै मोटी बात :- अपनी हैसियत से अधिक बात करना।
जंवाई रौ घोड़ौ अर सासू सरणाटा करै :- किसी पराए के धन-वैभव पर अन्य द्वारा गर्व किया जाना।
जखम ताजौ होणौ :- भूली हुई विपत्ति या बात फिर से याद आ जाना।
जणी गेलै नीं जाणौ वणी नै क्यूं पूछणौ :- जिस कार्य को नहीं करना है, उससे सरोकार रखने से क्या प्रयोजन।
जणी रूंखड़ा री छाया बैठै वणी री जड़ खोदै :- जिसका आश्रय ले रखा है, उसका ही अहित करना।
जतनां दही जमणौ :- बुद्धिमानी से ही कार्य अच्छा होता है।
जमीन आसमान अेक करणौ :- किसी कार्य के लिए अत्यधिक परिश्रम करना।
जीभ रै ताळौ लागणौ :- बोलती बंद होना।
जीवती माखी गिटणी :- जानबूझकर अनुचित कार्य करना।
जुग फाट्यां स्यार मरै :- संगठन टूटने से ही नाश होता है।
झाडू फेरणौ :- बिल्कुल नष्ट कर देना।
घोड़ी तो ठाण बिकै :- गुणी की उपयुक्त जगह पर ही कीमत होती है।
चंदण उतारणौ :- बेवकूफ बनाकर माल हड़पना।
चंदण लगाणौ :- खर्चा करवाना।
चळू भर पांणी में डूबणौ :- लज्जा के मारे मर जाना।
चाँद माथै थूकणौ :- निर्दोष पर कलंक लगाना।
चादर देख नै पग पसारणा :- अपनी सामर्थ्य के अनुसार काम करना।
दूज रौ चाँद :- दर्शन दुर्लभ होना।
दूध लजाणौ :- अपने वंश की प्रतिष्ठा खत्म करना।
दूबला नै दो असाढ़ :- आपत्ति पर आपत्ति आना।
दोनूं हाथ मिलायां ही धुपै :- दोनों ओर से कुछ झुकने पर ही समझौता होता है।
धरम री गाय रा दांत कांई देखणा :- दान में अथवा मुफ्त मिली हुई वस्तु के गुण-अवगुण नहीं देखना चाहिए।
सगळै ई चोखै कामां मै बिघन आया करै :- अच्छे कार्यों में हर जगह विघ्न आया करते हैं।
सावळ करतां कावळ पड़ै :- भलाई करते हुए भी बुराई हाथ लगती है।
सौ-सौ ऊंदरा खाय मिन्नी हज करबा चली :- बड़े पाखंडी द्वारा भले बनने का बाह्याडंबर करना।
सांभर में लूण रौ टोटौ :- किसी वस्तु के विशाल भंडार के स्थान पर भी उस वस्तु की कमी अनुभव करना।
सौ सोनार री अेक लुवार री :- बलवान की एक ही चोट पर्याप्त होती है।
सोनै के काट कोन्या लागै :- सज्जन के कलंक नहीं लगता।
हांसी में खांसी हो ज्याय :- हँसी-हँसी में लड़ाई हो जाया करती है।
हथेळी माथै जांन राखणी :- जोखिम का काम करना, जान हाथ में रखना।
मूंछ्या रा चावळ राखणा :- अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखना।
मोर्यौ नाच कूद’र पगां सांमी देखै :- व्यक्ति को अपनी गलतियों का अहसास अंत में होता है।
म्यांऊँ रो मूंडौ पकड़णौ :- खतरे का सामना करना।
रीस रै आंख्यां नी हुया करै :- क्रोध में व्यक्ति विवेकहीन हो जाता है।
रांडां रोती रै नै पामणा जीमता रै :- दूसरों के कहने की कुछ भी परवाह नहीं करना।
लाठी हाथ मैं तो सगळा साथ मै :- लाठी हाथ में तो सभी साथ में होते हैं। शक्तिशाली का सभी साथ देते हैं।
लेवण गई पूत गमा आई खसम :- लाभ के बदले पूँजी भी गंवा देना।
लकीर रौ फकीर होणौ :- रूढ़ियों का अंधानुकरण करना।
लरड़ी माथै ऊन कुण राखै :- गरीब का शोषण सब करते हैं।
लोभ गळौ कटावै :- अधिक लाभ की इच्छा रखने वाले को कभी-कभी नुकसान उठाना पड़ता है।
पग फूँक-फूँक’र दैणौ :- 1. बहुत विचार कर कार्य करना, 2. बहुत सतर्कतापूर्वक चलना।
पगां नै कुल्हाड़ी बांणौ :- अपने हाथ अपना नुकसान करना।
पलक बिछाणी :- अत्यंत प्रेम से स्वागत करना।
पसीना रौ खून करणौ :- अथक परिश्रम करना।
पहाड़ टूटणौ, पहाड़ टूट पड़णौ :- एकाएक भारी आफत आ जाना।
पर नारी पैनी छुरी, तीन ओड सै खाय, धन छीजै, जोबन हडै, पत पंचा में जाय। :- पर नारी पैनी छुरी के समान है। वह तीन ओर से खाती है – धन क्षीण होता है, यौवन का नाश करती है और लोकोपवाद होता है।
पाप री पांण आये बिन कोनी रैवे :- पाप अपना असर अवश्य दिखलाता है।
कामेड़ी बाज नै कोनी जीते :- कमजोर ताकतवर को नहीं जीत सकता।
काळौ पीळौ होनौ :- क्रोधित होना।
काल मरी सासू आज आयो आँसू :- शोक का दिखावा करना।
किलौ जीतणौ :- कठिन कार्य पर विजय पाना।
कूंटौ काढ़णौ :- अटका हुआ कार्य करना।
कूवै भांग पड़णी :- सबकी बुद्धि मारी जाना।
खाय धणी को, गीत गावै बीरे का :- उचित व्यक्ति को श्रेय नहीं देना।
खटाई में नांखणौ :- दुविधा में छोड़ देना।
खाटा लारै खीचड़ौ ई आवै :- जैसे को तैसा।
खाटी छा नै राबड़ी सैं खोणौ :- बिगड़े हुए काम को और भी बिगाड़ना।
बा रै घाट रौ पांणी पीणौ :- अनुभवी होना।
बाळ ई बांकौ नीं होणौ :- जरा भी हानि न होना।
पईसा धूळ में राळणा :- धन की व्यर्थ बरबादी करना।
पगड़ी उछाळणी :- बेइज्जती करना।
पग तोड़णा :- बहुत परिश्रम करना।
चाबी भरणी :- किसी के विरुद्ध भड़काना।
चिड़ी फंसाणी :- अपने स्वार्थ के लिए किसी को चिकनी-चुपड़ी बातों से वश में करना।
चिलम भरणी :- खुशामद करना, जी हजूरी करना।
डौड चावळ री खीचड़ी पकाणी :- अपने विचारों को सबसे अलग रखना।
ढक्या ढकण न उघाड़णौ :- रहस्य प्रकट करना।
ढाई दिन री बादसाहत करणी :- थोड़े समय के लिए खूब ऐश्वर्य पाना।
ढोल में पोल :- अधिक बोलने वाले आदमियों की बातें पक्की नहीं हुआ करती हैं।
तळवा चाटणा :- खूब खुशामद करना।
ताळी मिळाणी :- सांठ-गांठ करना।
तिणौ मेलियां आग उठै :- थोड़ी-सी ही बात पर क्रोधित होना।
तिलक उधड़णौ :- किसी के कपट का धीरे-धीरे पता चलना।
देस जिस्यो भेस :- जैसा देश वैसा वेश। स्थान व समयानुसार परिवर्तन कर लेना।
देसी गधी पूरबी चाल :- आडंबर करना।
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