शतावरी का परिचय-Introduction of Shatavari
शतावरी (Shatavari) का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा, इसलिए बहुत कम लोग ही शतावरी का प्रयोग करते होंगे। क्या आपको पता है कि शतावरी क्या है, इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, यह कहां मिलता है, और शतावरी के फायदे क्या-क्या हो सकते हैंं ?
आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में बताया गया है। आप अनेक बीमारियों की रोकथाम, या इलाज में शतावरी का प्रयोग कर सकते हैं। अगर आपको शतावरी के फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, तो हम बताते हैं।
शतावरी क्या है ?-What is Shatavari in Hindi ?
शतावरी बेल या झाड़ (shatavari plant) के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। इसकी लता फैलने वाली, और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। ये जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।
इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का, पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है।
विरलकन्द शतावर -Asparagus filicinus -Ham ex D.Don
इसके कन्द छोटे, मांसल, फूले हुए तथा गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इसके कन्द का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है।
कुन्तपत्रा शतावर-Asparagus gonoclados Baker
यह झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसके कन्द छोटे, और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के, और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके कंद शतावर से छोटे होते हैं।
अन्य भाषाओं में शतावरी के नाम।-Shatavari Called in Different Languages
दुनिया भर में शतावरी (Satavari) को कई नामों से जाना जाता है जो ये है।:-
Asparagus in Hindi or Asparagus meaning in Hindi- सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी, सरनोई
Shatavari in English- Wild asparagus (वाईल्ड एस्पैरागस)
Asparagus in Sanskrit-शतावरी, शतपदी, शतमूली, महाशीता, नारायणी, काञ्चनकारिणी, पीवरी, सूक्ष्मपत्रिका, अतिरसा, भीरु, नारायणी, बहुसुता, बह्यत्रा, तालमूली
Asparagus in Urdu- सतावरा (Satavara)
Asparagus in Oriya- चोत्तारु (Chhotaru), मोहनोले (Mohnole)
Asparagus in Gujarati- एकलकान्ता (Ekalkanta), शतावरी (Shatavari)
Asparagus in Tamil or Asparagus meaning in tamil- किलावरि (Kilavari), पाणियीनाक्कु (Paniyinakku)
Asparagus in Telugu- छल्लागडडा (Challagadda), एट्टावलुडुटीगे (Ettavaludutige);
Asparagus in Bengali- शतमूली (Shatamuli), सतमूली (Satmuli)
Asparagus in Punjabi- बोजान्दन (Bozandan); बोजीदान (Bozidan)
Asparagus in Marathi- अश्वेल (Asvel), शतावरी (Shatavari)
Asparagus in Malayalam- शतावरि (Shatavari), शतावलि (Shatavali)
Asparagus in Nepali- सतामूलि (Satamuli), कुरीलो (Kurilo)
Asparagus in Arabic- शकाकुल (Shaqaqul)
Asparagus in Persian- शकाकुल (Shaqaqul)
शतावरी के फायदे।-Shatavari Benefits and Uses in Hindi
बहुत सालों से शतावरी का भिन्न-भिन्न तरीके से इस्तेमाल होता आ रहा है। शतावरी के फायदे लेने के लिए आपको शतावरी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म, उपयोग के तरीके, उपयोग की मात्रा, एवं विधियों की जानकारी होनी जरूरी है, जो ये हैं।
शतावरी के उपयोगी भाग।-Useful Parts of Shatavari
जड़
जड़ से तैयार काढ़ा
पत्ते
पेस्ट
चूर्ण (shatavari churna)
शतावरी का इस्तेमाल कैसे करें ?-How to Use Shatavari in Hindi ?
शतावरी का उपयोग कितनी मात्रा में करें ?
रस- 10-20 मिली
काढ़ा- 50-100 मिली
चूर्ण- 3-6 ग्राम
अपच की समस्या में शतावरी के सेवन से फायदा।-Benefits of Shatavari in Indigestion in Hindi
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खाना ठीक से नहीं पच रहा है, तो शतावरी का उपयोग (satawar ke fayde) करना लाभ पहुंचाता है। 5 मिली शतावर के जड़ के रस को मधु, और दूध के साथ मिला लें। इसे पिलाने से अपच जैसी परेशानी से शान्ति मिलती है।
पेट दर्द में शतावरी से लाभ।-Shatavari Uses in Pitta Disorder in Hindi
पित्त दोष के कारण होने वाले पेट के दर्द में भी शतावरी का फायदा लिया जा सकता है। रोज सुबह 10 मिली शतावरी के रस में 10-12 ग्राम मधु मिलाकर पीने से लाभ होता है।
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सिर दर्द में फायदेमंद है शतावरी का प्रयोग।-Benefits of Shatavari in Relief from Headache in Hindi
शतावरी सिर दर्द से भी आराम दिलाता है। शतावर की ताजी जड़ को कूटकर, रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सिर दर्द, और अधकपारी (आधासीसी) में आराम मिलता है।
नींद ना आने की परेशानी में शतावरी का इस्तेमाल।-Shatavari Benefits in Insomnia in Hindi
कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी होती है। ऐसे लोग 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें। इसमें घी मिलाकर खाने से नींद ना आने की परेशानी खत्म होती है। कहने का मतलब यह है कि शतावर चूर्ण अनिद्रा की बीमारी में बहुत ही लाभकारी हैं।
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शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शतावरी का प्रयोग।-Shatavari Benefits to Treat Body Weakness in Hindi
जो लोग शारीरिक कमजोरी, या शरीर में ताकत की कमी महसूस कर रहे हैं। वे शतावरी को घी में पकाकर मालिश करें, इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। सामान्य कमजोरी दूर करने में शतावरी के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं।
वीर्य दोष को ठीक करने के लिए शतावरी का सेवन।-Shatavari Benefits for Sperm Count Problem in Hindi
वीर्य की कमी की समस्या में 5-10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य की वृद्धि होती है।
शतावरी चूर्ण का प्रयोग कर स्वप्न दोष का इलाज।-Shatavari Benefits in Nightfall Treatment in Hindi
स्वप्न दोष को ठीक करने के लिए ताजी शतावर की जड़ का चूर्ण बना लें। इसे 250 ग्राम तथा 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर कूट-पीस लें। इसे 6-11 ग्राम चूर्ण को, 250 मिली दूध के साथ सुबह-शाम लें। इससे स्वप्न दोष दूर होता है, और शरीर स्वस्थ रहता है। शतावर चूर्ण के फायदे का पूरा लाभ तभी मिलता है जब चूर्ण को सही तरह से बनाया जाय और सही तरह से इसका सेवन किया जाय।
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन।-Uses of Shatavari is Beneficial for Pregnant Women in Hindi
गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सोंठ, अजगंधा, मुलैठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिएं। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहता है।
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स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन।-Benefits of Shatavari for Increasing Breast Milk in Hindi
कई महिलाओं को मां बनने के बाद स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी के जड़ के चूर्ण (shatavari powder) को दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इसलिए डिलीवरी के बाद भी शतावरी के फायदे महिलाओं को मिलना उनके सेहत के लिए अच्छा होता है।
1-2 ग्राम शतावरी के जड़ से बने पेस्ट का दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध अधिक होता है।
इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करें। इससे दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक भी हो जाता है।
सर्दी-जुकाम में शतावरी का उपयोग।-Benefits of Shatavari in Treating Cold and Cough in Hindi
शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम में भी फायदेमंद होता है। आप शतावरी की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पीने से आराम मिलता है।
गला बैठने पर शतावरी से फायदा।-Uses of Shatavari for Throat Problem in Hindi
अधिक जोर से बोलने, या चिल्लाने पर गला बैठना (आवाज का बैठना) आम बात है। ऐसी परेशानी में शतावर, खिरैटी (बला), और चीनी को मधु के साथ चाटने से लाभ होता है।
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सूखी खांसी के उपचार के लिए शरातवरी का उपयोग।-Shatavari Benefits in Dry Cough Treatment in Hindi
सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, तो 10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसे के पत्ते, और 10 ग्राम मिश्री को 150 मिली पानी के साथ उबाल लें। इसे दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।
कफ होने पर शतावरी, एवं नागबला का काढ़ा, और चूर्ण को घी में पका लें। इसका सेवन करने से कफ विकार में लाभ होता है।
सांसों के रोग में शतावरी से लाभ।-Shatavari Uses in Respiratory Disease in Hindi
शतावरी पेस्ट एक भाग, घी एक भाग, तथा दूध चार भाग लें। इन्हें घी में पकाएं। इसे 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सांसों से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित बीमारी, सीने में जलन, वात और पित्त विकार, और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है।
नाक के रोग में शतावरी का प्रयोग फायदेमंद।-Uses of Shatavari for Nasal Disorder in Hindi
नाक की बीमारियों में 5 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari powder) को 100 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से नाक के रोग खत्म हो जाते हैं। शतावर चूर्ण के फायदे नाक संबंधी रोगों के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर होती है तुलसी।
आंख के रोग में शतावरी का इस्तेमाल।-Benefits of shatavari in eye problem
5 ग्राम शतावरी जड़ को 100-200 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से आंख के रोगों में लाभ होता है।
पुराना घी, त्रिफला, शतावरी, परवल, मूंग, आंवला, तथा जौ का रोज सेवन करें। इससे आंखों के रोग में लाभ (shatavari benefits) होता है।
शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में लाभ।-Benefits of Shatavari in Night Blind in Hindi
शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में भी लाभ होता है। घी में शतावरी के मुलायम पत्तों को भूनकर सेवन करें।
मूत्र विकार के इलाज के लिए शतावरी का सेवन।-Uses of Shatavari in Urinary Disease Treatment in Hindi
शतावरी पेशाब संबंधी परेशानियों में भी काम करता है। इसमें शतावर 10-30 मिली, और गोखरू का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।
कई लोग बार-बार पेशाब आने से परेशान रहते हैं, ऐसे में 10-30 मिली शतावर के जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें मधु और चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है।
पेशाब की जलन की बीमारी में 20 ग्राम गोखरू पंचांग के बराबर शतावर को मिला लें। इसे आधा लीटर पानी में उबाल लें। इसे छानकर 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच मधु मिला लेंं। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से पेशाब की जलन, और बार-बार पेशाब आने की परेशानी में आराम मिलता है।
कई रोगों का निवारण करती है, अमृता की लता।
शतावरी का प्रयोग दस्त रोकने के लिए।-Shatavari Uses to Stop Diarrhea in Hindi
लोग दस्त से परेशान रहते हैं, तो 5 ग्राम शतावरी घी का सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।
शतावरी का उपयोग घाव सुखाने के लिए।:-Shatavari Uses for Healing Wound in Hindi
शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण बनाकर दोगुने घी में तल लें। अब इस शतावरी चूर्ण को अच्छी तरह पीस कर घाव पर लगाएं। इससे पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।
सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन।-Shatavari Benefits for Increasing Sexual Power in Hindi
कई लोग मर्दानगी ताकत की कमी, या सेक्सुअल स्टेमना की कमी से भी परेशान देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शतावरी के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। इसमें शतावर को पका कर सेवन करें।
इसके अलावा दूध के साथ शतावरी चूर्ण की खीर बनाकर खाने से भी सेक्सुअल स्टेमना में वृद्धि होती है।
निंबू के 11 चमत्कारी फायदे जरूर जाने।
गोनोरिया (सुजाक) में शतावरी से लाभ।-Uses of Shatavari in Gonorrhea Treatment in Hindi
सुजाक या गोनोरिया, यौन से संबंधित एक रोग है। यह बैक्टीरिया से होता है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी 20 मिली शतावर के रस को, 80 मिली दूध में मिलाकर पिएं। इससे सुजाक में फायदा होता हैं।
बवासीर में शतावरी से फायदा।-Uses of Shatavari in Piles Treatment in Hindi
बवासीर में शतावरी का उपयोग करना बेहतर परिणाम देता है। 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari churna) को दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
पेचिश में फायदेमंद शतावरी का प्रयोग।-Uses of Shatavari to Stop Dysentery in Hindi
ताजी शतावर को दूध के साथ पीस छान लें। इसे दिन में 3-4 बार पीने से पेचिश (मल के साथ खून आने की बीमारी) में फायदा होता है।
शतावरी से बने घी को पीने से पेचिश में आराम मिलता है।
लाभदायक होते हैं पपीते के पत्ते जानें।
पुरानी पथरी के रोग में शतावरी का इस्तेमाल।-Benefits of shatavari for Kidney Stone in Hindi
पथरी की बीमारी से परेशान मरीज 20-30 मिली शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पिएं। इससे पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।
बुखार में शतावरी से लाभ।-Shatavari Uses in Fighting with Fever in Hindi
शतावर और गिलोय के बराबर-बराबर भाग के 10 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिएं। इससे बुखार में लाभ होता है। 20-40 मिली काढ़ा में 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।
इम्यूनिटी पावर के लिए तरह-तरह के काढ़े।
शतावरी के नुकसान क्या हैं ?-What are the Side-Effects of Shatavari in Hindi
जैसा की आपको पता है किसी भी चीज का उपयोग हद से अधिक करने पर नुकसादायक परिणाम होते है। उसी तरह शतावरी जड़ीबूटी के लाभ के बारे में आगे आपने जान लिया होगा । किंतु कुछ मामलो में इसके नुकसान भी हो सकते हैं। चलिए आगे बताते हैं।
अधिक मात्रा में शतावरी लेने से सांस लेने में कठिनाई आ सकती हैं।
शतावरी के दुष्परिणाम से त्वचा पर दाने या चकत्ते आ सकते हैं।
सामान्य दुष्परिणाम में व्यक्ति को चक्कर आ सकते है।
मात्रा से अधिक शतावरी का उपयोग करने से आंखो में खुजली और त्वचा में खुजली की समस्या हो सकती है।
कुछ ऐसे भी लोग है जिनको शतावरी के उपयोग से एलर्जी है उनको इससे बचना चाहिए।
शतावरी का उपयोग लोग पेशाब की समस्या ठीक करने के लिए करते है। यदि दस्त की समस्या है तो शतावरी का उपयोग करने से बचे।
जिन लोगो को गुर्दे की पथरी है, उनको शतावरी का उपयोग करने से बचना चाहिए। ऐसा, इसलिए शतावरी गुर्दे की समस्या और बढ़ा सकती हैं।
नोट;-हम आपको सलाह के तौर पर एक जानकारी पोस्ट के जरिए प्रस्तुत कराते हैं मगर याद रखें कभी भी डॉक्टर या चिकित्सकीय सलाह के बगैर किसी भी चीज का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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