लाल मिर्च की बात याद आते ही तीखा, चटपटा स्वाद मुँह में आ जाता है। हर भारत के रसोईघर में व्यंजन में स्वाद लाने के लिए लाल मिर्च का उपयोग किया जाता है। लेकिन अयुर्वेद में लाल मिर्च का इस्तेमाल औषधी के रूप कैसे किया जाता है इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
लाल मिर्च क्या होता है?
लाल मिर्च अपने तीखे स्वभाव के कारण बहुत प्रसिद्ध है, यह कटु रस और लार निकलने वाले द्रव्यों में प्रधान है। कच्चे अवस्था में इसके हरे फलों का उपयोग अचार और शाक बनाने में होता है, तथा पके और लालफल, शुष्क अवस्था में मसाले के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
लाल मिर्च कफ वात को दूर करने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला, वात को हरने वाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, मूत्र को बढ़ाने वाला, वाजीकरण या काम की इच्छा जाग्रत करने वाला और बुखार में फायदेमंद होता है। इसके तीखे प्रकृति के कारण यह लार निकलने में मदद करता है और खाने को हजम करने में मदद करता है।
भारत में मुख्यत गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, बिहार एवं आंध प्रदेश में इसकी खेती की जाती है।
अन्य भाषाओं में लाल मिर्च के नाम
लाल मिर्च का वानास्पतिक नाम Capsicum annuum Linn. (केप्सिकम एनुअम)
Syn-Capsicum abyssinicum A. Rich., Capsicum dulce Dunal कहते हैं। लाल मिर्च Solanaceae (सोलैनेसी) कूल का है। लाल मिर्च को अंग्रेजी में Red chillies (रेड चिलीज) कहते हैं। लाल मिर्च भारत के विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे-
Sanskrit-लंका, कटुवीरा, रक्तमरिच, पित्तकारिणी
Hindi-लाल मिर्ची
Kannada-मेनासिन (Menasin), हंसिमेनसु (Hansimenasu)
Gujrati-मरचा (Marcha)
Tamil-सिलागे (Silage), मिलागई (Milagai), उसीमुलागे (Usimulagay)
Telegu-मिर्चा काया (Mircha kaya), सुदमिराप काया (Sudmirapa kaya)
Bengali-लंका मोरिच (Lanka morich), गाछमरिच (Gach marich)
Nepali-खुसीनी (Khusini)
Marathi-लाल मिर्चा (Lal mircha), मुलुक (Muluk)
Malayalam-चली (Chalie), मूलकू (Mulaku)।
English-बर्ड आई चिल्ली (Birds eye chilli), रेड पेपर (Red pepper), स्वीट पेपर (Sweet pepper), ग्रीन पेपर (Green pepper), गिनिया पेपर (Guinea pepper)
Arbi-फिलफिली अहमर (Filfiliahmar), फिलफिलिआमर (Filfiliamar)
Persian-फिफिलीसुर्ख (Fifilisurkh)।
जानें लाल मिर्च के फायदें।
लाल मिर्च न सिर्फ खाने का ज़ायका बढ़ाता है बल्कि आयुर्वेद में बीमारियों के लिए औषधि के रुप में भी प्रयोग किया जाता है। अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। लाल मिर्च का सेवन औषधि के रुप में करने से आराम मिलता है।
🔹100 ग्राम गुड़ में 1 ग्राम लाल मिर्च चूर्ण मिलाकर 1-2 ग्राम की गोली बना के सेवन करने से उदरशूल या पेट दर्द से राहत मिलती है।
🔹आधा ग्राम लाल मिर्च चूर्ण को 2 ग्राम शुंठी चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करने से खाने की इच्छा बढ़ने के साथ , पेट के दर्द और आध्मान (Flatulance) में लाभ होता है।
🔹पित्त प्रकोप के कारण जिसको भोजन के प्रति अरुचि उत्पन्न हो गई हो, भूख न लगती हो तो आवश्कतानुसार मिर्च बीज तेल की 5-10 बूंद को पतासे में भरकर या शक्कर के साथ खाने से अत्यन्त लाभ होता है।
🔹अगर किसी कारणवश हैजा हो गया है तो लाल मिर्च का ऐसे सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है। लाल मिर्च के बीज अलगकर छिल्कों को महीन पीसकर कपड़े से छान कर थोड़ा कपूर और हींग मिला लें (हींग और कूपर के अभाव में केवल मिर्च ही ले लें)। इन तीनों को शहद में घोटकर 125-250 मिग्रा की गोलियाँ बना लें। सुबह शाम 1-1 गोली सेवन करने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।
🔹विसूचिका में प्रत्येक उल्टी और दस्त के बाद, रोगी को 1/2 चम्मच मिर्च तेल पिलाने से 2-3 बार में ही रोगी को आराम हो जाता है।
🔹लाल मिर्ची को बारीक पीसकर, बेर जैसी गोलियाँ बनाकर रख लें। विसूचिका के रोगी को 1-1 घन्टे के अन्तर से 1-1 गोली व लौंग सात नग देने से विसूचिका की प्रत्येक दशा में आराम हो जाता है।
🔹पाँच लाल मिर्च चूर्ण तथा सात पताशे के चूर्ण को जल में घोल कर, शर्बत बनाकर थोड़ी-थोड़ी देर पर सेवन करने से विसूचिका में लाभ होता है।
🔹पुरानी अपांप्म, हींग, मरिच, कर्पूर तथा लाल मिर्च बीज चूर्ण को मिलाकर 125 मिग्रा की वटी बनाकर 1-1 वटी का सेवन करने से विसूचिका एवं अतिसार या दस्त से जल्दी आराम मिलता है।
🔹आज की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने का। फल ये होता है कि लोग मधुमेह या डायबिटीज का शिकार होते जा रहे हैं। मिर्च बीजों के एक बूँद तेल को पतासे में डालकर, लस्सी के साथ खाने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।
🔹ज्यादा शराब पीने से या किसी संक्रमण के कारण बुखार से राहत दिलाने में लाल मिर्च की भूमिका प्रशंसनीय होती है।
500 मिग्रा लाल मिर्च के बीजों के महीन चूर्ण को 50 मिली गुनगुने पानी के साथ दिन में 2-3 बार देने से शराब पीने के कारण जो सन्निपातज ज्वर होता है उसमें लाल मिर्च का सेवन फायदेमंद होता है।
🔹लाल मिर्च का एक बड़ा फायदा यह है कि त्वचा पर कोई चोट, घाव या फिर अन्य कारण से खून का बहना नहीं रुक रहा हो, तो बस एक चुटकी लाल मिर्च लगाने से खून बहना बंद हो जाता है। लाल मिर्च के हीलिंग पावर के कारण ऐसा होता है। हालांकि ऐसा करने पर आपको जलन या तकलीफ हो सकती है, लेकिन बहते खून को रोकने के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
🔹बुखार में यदि बच्चे को हवा लगकर पैरों में लकवे की आशंका हो तो मिर्च के महीन सूखे चूर्ण में तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
🔹कुत्ते के काटे हुए स्थान पर मिर्ची को जल में पीसकर लेप करने से दर्द कम होता है।
🔹शरीर के अंदरुनी हिस्से में चोट, आघात या रक्त का बहाव होने पर लाल मिर्च का प्रयोग किया जा सकता है। जरा-सी लाल मिर्च को पानी में घोलकर पीने पर यह काफी फायदेमंद साबित होगा। गर्दन की अकड़न में भी यह फायदेमंद है।
🔹पिसी हुई लाल मिर्च का रक्तवाहियों में रक्त के थक्के बनने से रोकाता है और सेवन हार्ट अटैक की संभावना को कम करता है। इसके अलावा अवांछित तत्वों को बाहर निकालने के साथ ही आंतों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है।
🔹मांसपेशियों में सूजन, किसी प्रकार की जलन, कमर या पीठ दर्द या फिर शरीर के किसी भी भाग में होने वाला दर्द लाल मिर्च के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है। इसमें मौजूद विटामिन सी, फ्लेवेनॉइड्स, पोटेशियम और मैंगनीज लाभदायक है।
🔹अगर आपकी नाक बंद हो गई है या फिर सर्दी के कारण नाक अधिक बह रही है, तो लाल मिर्च आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। जरा सी लाल मिर्च गुनगुने पानी के साथ घोलकर पीने से आपकी बंद नाक खुल सकती है और बहती नाक भी बंद हो सकती है।
लाल मिर्च का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
बीमारी के लिए लाल मिर्च के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए लाल मिर्च का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लाल मिर्च के ½ ग्राम-1 ग्राम चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा लाल मिर्च के तेल का भी इस्तेमाल चिकित्सक के सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
लाल मिर्च का तेल बनाने की विधि-125 ग्राम सूखी लाल मिर्चों को आधा लीटर तिल तेल में पकाएं, जब मिर्च काली पड़ जाए तो तेल छानकर शीशी में भर लें।
लाल मिर्च के नुकसान।
लाल मिर्च का ज्यादा सेवन करना स्वास्थ्य के दृष्टि से हानिकारक होता है।
लाल मिर्च खाने से मुंह संबंधी कई प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. ये मुंह का स्वाद तक खराब कर सकती है।
गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक लाल मिर्च खाने से बच्चे का समय से पूर्व जन्म होने का खतरा रहता है।
खाना बनाने के दौरान अगर मिर्च आंख में चली जाए तो इससे काफी दर्द होता हैं।
लाल मिर्च खाने से ना सिर्फ हार्टबर्न होता है बल्कि एसिडिटी भी बढ़ती है. यहां तक की पेट में जलन बढ़ जाती है।
लाल मिर्च खाने से मितली तक हो सकती है. बहुत अधिक मिर्च खाने से डायरिया हो सकता है।
बहुत ज्यादा लाल मिर्च खाने से अस्थमा का अटैक पड़ सकता है, अगर आपको श्वसन संबंधी कोई समस्या है तो लाल मिर्च से दूर रहे।
लाल मिर्च खाने से बेशक पेप्टिक अल्सर और गैस्ट्रिक नहीं होता लेकिन बहुत अधिक मात्रा में मिर्च खाने से इन दोनों बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
लाल मिर्च का बहुत अधिक सेवन टिश्यूज में सूजन ला सकता है लाल मिर्च का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सकीय वैद या डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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