अपनाएं यष्टिमधु (मुलहठी) को यह अनेक रोगों में है सहायक।
मुलहठी का परिचय मुलेठी एक प्रसिद्ध और सर्व सुलभ जड़ी है तना (काण्ड) और मूल मधुर होने से मुलहठी को यष्टिमधु कहा जाता है। मधुक क्लितक, जेठीमध तथा लिकोरिस इनके अन्य नाम है। इसका बहूवर्षायू क्षुप लगभग डेढ़ मीटर से दो मीटर ऊंचा होता है। जड़े गोल-लंबी झुर्रिदार तथा फैली हुई होती हैं। जड़ व तना से कई शाखाएं निकलती हैं। पत्तियां संयुक्त व अंडाकार होती हैं, जिनके अग्रभाग नुकीले होते हैं। फली बारिक छोटी ढ़ाई सेंटीमीटर लंबी चपटी होती है जिसमें 2 से लेकर 5 वृक्काकार बीज होते हैं। इस वृक्ष का भूमिगत तना तथा जड़ सुखाकर छिलका हटाकर या छिलके सहित अंग प्रयुक्त होता है। सामान्यतः मुलहटी ऊंचाई वाले स्थानों पर ही होती हैं। भारत में जम्मू-कश्मीर, देहरादून, सहारनपुर तक इसे लगाने में सफलता मिली है। वैसे बाजार में अरब, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान से आयी मुलहठी ही सामान्यतः पाई जाती है। बोटैनिक सर्वे ऑफ इंडिया इस दिशा में मसूरी, देहरादून फ्लोरा में इसे खोजने व उत्पन्न करने की और गतिशील है। इसी कारण अब यह विदेशी औषधि नहीं रही। अनेक भाषाओं में मुलहठी के नाम व परिचय