मिर्च
मिर्च वा मिरची सारे भारतवर्ष में मसाले के रूप में शाक भाजी में डाली जाती है। घरों में इसका दैनिक प्रयोग होता है। इसे प्रायः सभी गृहस्थ जानते हैं। यह दो प्रकार की होती है - लाल मिर्च और काली मिर्च। लाल मिर्च का प्रयोग अधिक होता है। विचारशील बुद्धिमान् लोग काली मिर्च का प्रयोग अधिक करते हैं।
हम काली मिर्च के विषय में लिखते हैं क्योंकि जहां इसका मसाले के रूप में प्रयोग होता है, वहां औषध के रूप में तो प्रयोग करने के लिए वैद्यों और हकीमों की अत्यन्त प्रिय वस्तु है। धन्वन्तरीय निघण्टु में इसके विषय में इस प्रकार महर्षि जी लिखते हैं -
आयुर्वेद में बताया गया है कि सुबह गर्म पानी के साथ कालीमिर्च का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे शरीर स्वस्थ बना रहता है। यह शरीर में बाहरी संक्रमण को पहुंचने से रोकती है और कप, पित्त और वायु पर नियंत्रण करती है।
हिन्दी में काली मिर्च, गोल मिर्च, बंगाली में मरिच, मराठी में मियें, कन्नड़ में मेणसु, गुजराती में मरि, तैलगू में मरियालु, फारसी में फिल फिल अबीयद, तमिल में मिलगु और मिलावो, अंग्रेजी में ब्लैक पेप्पर, लेटिन में पाईपर नाईगरम इत्यादि नामों से जाना जाता है।
काली मिर्च का स्वाद
काली मिर्च चरपरी, तीक्ष्ण, जठराग्नि को दीप्त करने वाली, कफ और वात रोगों को नष्ट करने वाली, गर्म, पित्तकारक, रूक्ष (खुश्क), श्वास तथा कृमि रोगों को हरने वाली है। ताजा गीली व हरी काली मिर्च आर्द्र, पाक में मधुर, बहुत उष्ण नहीं, कटु, भारी, कुछ तीक्ष्ण गुणों वाली, कफ को निकालने वाली, किन्तु पित्तकारक नहीं होती है।
इसकी बर्ती का प्रयोग करे तो गर्भ निरोधक है। इसको सिरके में पीस कर तिल्ली पर लेप करें तो सूजन बिखर कर दूर हो जाता है। इसको पीस कर आंख में लगाने से आंख की धुन्ध, जाला और नाखूना (फोला) नष्ट हो जाता है। इसके लेप से कंठमाला की सूजन बिखर जाती है। इसका क्वाथ सांप बिच्छू और अफीम के विष को दूर करता है।
फैट कम करे
काली मिर्च और गुनगुना पानी शरीर में बढ़ा हुआ फैट कम करता है। साथ ही यह कैलोरी को बर्न करके वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा जुकाम होने पर काली मिर्च गर्म दूध में मिलाकर पीने से आराम मिलता है। इसके अलावा जुकाम बार-बार होता है, छीकें लगातार आती हैं तो काली मिर्च की संख्या एक से शुरू करके रोज एक बढ़ाते हुए पंद्रह तक ले जाएं फिर प्रतिदिन एक घटाते हुए पंद्रह से एक पर आएं। इस तरह जुकाम की परेशानी में आराम मिलेगा
कब्ज दूर करे
कब्ज के रोगियों के लिए पानी के साथ काली मिर्च का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक कप पानी में नींबू का रस और काली मिर्च का चूर्ण और नमक डालकर पीने से गैस व कब्ज की समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।
स्टेमिना बढ़ाए
गुनगुने पानी के साथ काली मिर्च का सेवन करने से शारीरिक क्षमता बढ़ती है। साथ ही शरीर में पानी की कमी नियंत्रित होती है। यह शरीर के अंदर की एसिडिटी की समस्या को भी खत्म कर देती हैं।
हैजे में इसका प्रयोग निम्न प्रकार करते हैं - काली मिर्च २० ग्रेन, हींग २ तोला, अफीम २० ग्रेन इन सब को मिलाकर २० गोलियां बनाई जायें और एक-एक घण्टे पश्चात् एक-एक गोली रोगी को देने से लाभ होता है। इसके अतिरिक्त यह बाह्य प्रयोग में भी काम आती है। इसको घी में मिलाकर चर्म रोगों में लगाने से लाभ होता हैं।
खुजली:
काली मिर्च खाने से स्किन में जलन, खुजली और लालीपन होने का खतरा होता है। इसके अलावा यदि आपको स्किन से जुड़ी कोई समस्या होती है तो काली मिर्च खाने से बचें। इससे आपकी समस्या और बढ़ सकती है।
काली मिर्च खाने से स्किन में जलन, खुजली और लालीपन होने का खतरा होता है। इसके अलावा यदि आपको स्किन से जुड़ी कोई समस्या होती है तो काली मिर्च खाने से बचें। इससे आपकी समस्या और बढ़ सकती है।
आंखों और त्वचा में जलन:
स्किन पर काली मिर्च लगाने से जलन और खुजली की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह आंखों में भी जलन का कारण बनता है। साथ ही काली मिर्च आंखों की रोशनी को भी प्रभावित करती है और स्किन की समस्याओं को बढ़ाती है।
स्किन पर काली मिर्च लगाने से जलन और खुजली की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह आंखों में भी जलन का कारण बनता है। साथ ही काली मिर्च आंखों की रोशनी को भी प्रभावित करती है और स्किन की समस्याओं को बढ़ाती है।
अधिक काली मिर्च खाने से रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम होने की समस्या बढ़ जाती है। यह ऑक्सीजन के प्रवाह को प्रतिबंधित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। यहां तक कि यह फेफड़ों को परेशान करता है और अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की समस्याओं को भी बदतर कर सकता है।
काली मिर्च के नूकसान
ली मिर्च को यदि आप अधिक मात्रा में खाते हैं तो इससे आपके पेट में जलन होने लगती है जिससे पेट से जुड़ी और भी कई अन्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा यदि आप काली मिर्च अधिक खाते हैं तो कब्ज, दस्त और एसिडिटी जैसी समस्या भी हो सकती है।
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