जागृति पूर्वक विज्यूलाइजेशन।

नकारात्मक चित्रों के नागपाश से छूटने का निर्णय करना आंतरिक क्रांति की तरफ उठाया गया पहला कदम है और जो परिस्थिति विज्यूलाइजेशन करने का निर्णय आपके लोगों को बदलने की तैयारी और संकेत करता है। क्या आप अपने लोगों को बदलने को तैयार हो तो मानसिक चित्रों को बदलने का काम शुरू कर दो जागृति पूर्वक विजुलाइजेशन शुरू कर दो किंतु इसके पहले नीचे दर्शाए गए 5 नियमों को हमेशा के लिए अपने मन में अच्छी तरह से उतार ले

1 मेरा अर्धजागृत मन सर्वशक्तिमान है।
2 इसको मिलने वाले तमाम चित्रों को यह स्वीकार करता है।
3 इन सभी चित्रों को वह सत्य मानता है।
4 यह जिन चित्रों को सत्य मानता है वैसे ही संजोग का निर्माण करता है।
5 मेरे अर्धजाग्रत मन को चित्र भेजने का अधिकार केवल मेरे हाथ में है।
जागृतिपूर्वक विज्यूलाइजेशन करने से
जैसे चाहोगे वैसे ही संजोगो का निर्माण होता है। अपने सुख-दुख का रिमोट कंट्रोल अपने ही हाथ में रहता है।
मैं आजाद हूं ऐसी अनुभूति होती है।
समस्याओं के समाधान के लिए गलत जगह पर लगने वाले समय शक्ति और धन की बचत होती है।
ईश्वर द्वारा प्रदान की गई ''कल्पना'' नाम की शक्ति उपयोग करने में आती है।
और हाँ विज्यूलाइजेशन कोई नई बात नहीं है। यह तो युगों-युगों से चली आ रही है।
बीते कल की कल्पना आज की हकीकत
विज्यूलाइजेशन का विज्ञान नया कहां है ? यह रहे उनके उदाहरण
राइट बंधुओं की कल्पना ने आकाश में उड़ने वाले विमानों को जन्म दिया।
महात्मा गांधी की कल्पना ने आजादी को जन्म दिया। जॉर्ज ईस्टमैन की कल्पना ने रंगीन फिल्मों को जन्म दिया।
योगी जी महाराज की कल्पना ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर को जन्म दिया।
ग्रेहाम बेल की कल्पना ने टेलीफोन को जन्म दिया।
बिलगेट्स की कल्पना ने माइक्रोसॉफ्ट का जन्म हुआ।
गत वर्ष की हमारी एक कल्पना ने इस पोस्ट को जन्म दे रही है।
ConversionConversion EmoticonEmoticon